नव वर्ष पर एक नवगीत
दीप प्रेम का जग में जलाएं
दीप प्रेम का जग में जलाएं
आओ मिल नव वर्ष मनाएं
रहे न भूखा कोई कहीं पर
सोए नहीं मजबूर जमीं पर
हाथ मदद का चलो बढ़ाएं
आओ मिल नव वर्ष मनाएं। १।
लुटे न अस्मत किसी बहन की
उठे न अर्थी किसी दुल्हन की
संस्कारों की हम जोत जलाएं
आओ मिल नव वर्ष मनाएं।२।
नशे की लत में डूबा है यौवन
उजड़ रहे घर- घर के उपवन
इन व्यसनों से उन्हें बचाएं
आओ मिल नव वर्ष मनाएं।३।
जीवन माला के मोती है रिश्ते
टूट कर ये फिर नहीं जुड़ते
इन रिश्तों को दिल से निभाएं
आओ मिल नव वर्ष मनाएं
जात पात का भेद मिटा दो
एक दूजे को गले से लगा लो
सारे शिकवे चलो भुलाएं
आओ मिल नव वर्ष मनाएं।४।
कभी न करना घात देश से
रखो प्यार निज परिवेश से।
देश को निज अग्रणी बनाएं
आओ मिल नव वर्ष मनाएं। ५।

डॉ. आलोक रंजन कुमार
जपला, पलामू, झारखंड।
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