देख बेबसी | Dekh Bebasi
देख बेबसी
( Dekh bebasi )
लगता है कुछ होने को ,
मान गए इस टोने को .
मन करता है कभी -कभी ,
पाप पुराने धोने को .
याद बची एक तुम्हारी ,
और नहीं कुछ खोने को .
अभी -अभी रोकर सोया ,
बच्चा एक खिलौने को .
बीत गई सो बात गई ,
दुनिया थूक बिलोने को .
देख बेबसी जी करता ,
खुद ही खुद पर रोने को .
तू फूलों की कर खेती ,
जग है काँटे बोने को .
राजपाल सिंह गुलिया
झज्जर , ( हरियाणा )