छत पर चाँद बुलाने से अच्छा
छत पर चाँद बुलाने से अच्छा
छत पर चाँद बुलाने से अच्छा,
उसपर टहला जाए तो अच्छा,
मिलता ना कोई इन्सां से इन्सां,
खुद से मिलन हो जाए तो अच्छा,
होती है अब ना कोई खातिरदारी,
कोई मन ही सहला जाए तो अच्छा,
होता ना हमसे चहरे पे लेपन,
सेहत सम्हाली जाए तो अच्छा,
इस जग में कितनी है भागम भागी,
कुछ पल को ठहरा जाए तो अच्छा,
बीता जाए बेमकसद ये जीवन,
मन का कोई मिल जाए तो अच्छा,
‘अभ्भू’ ना करिए उल्फत मे खयानत,
सच्ची निभाई जाए तो अच्छा।
आभा गुप्ता
इंदौर (म. प्र.)
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