रवीन्द्र कुमार रौशन “रवीन्द्रोम “ की कविताएं | Ravindra Kumar Poetry
मैं बिहार हूं
दुनिया का पहला गणराज्य
मुझे ही माना जाता है ,
एशिया का पहला श्रेष्ठ शिक्षा केंद्र
नालंदा ही कहलाता है ।
धर्म , साधना के लिए
दुनिया को बुद्ध , जैन दिए ,
भौतिक ज्ञान से निकालकर
अध्यात्म का सबको नैन दिए ।
राजनीति सिखाने वाले
चाणक्य ज्ञानवान दिए ,
राम कथा लिखने वाले
बाल्मीकि महान दिए ।
जोड़ , घटाव बताने वाले
आर्यभट्ट संतान दिए ,
अच्छा शासक होने का
इतिहास अशोक को मान दिए ।
सिक्ख धर्म के दसवें गुरू
गुरू गोविंद सिंह पहलवान दिए ,
सात वर्ष का फतेह सिंह ,
नौ वर्ष का जोरावर
स्व धर्म हेतू बलिदान दिए ।
कला में बिस्मिल्लाह खान सा शान दिए ,
साहित्य में दिनकर सा अभिमान दिए ,
पद को सुशोभित करने वाले
राजेन्द्र प्रसाद सा आन दिए ,
सभी को खुश कर देना वाले
गोनु झा सा मुस्कान दिए ।
वृक्ष
पेड़ों की संख्या घट रही है
पर्यावरण में असंतुलन बढ़ रही है
बारिश न समय से होती
खेती करने में दिक्कत होती ।
धान लगाते तो धूप निकलती
गेंहूँ काटते तो खूब बरसती
बर्बाद होती मूंग,मक्का मखान…
परेशान होते हैं खूब किसान ।
शुद्ध हवा न मिलती है
समय से फूल न खिलती है
वृक्षों का हो रहा हरण
दूषित हो रहा वातावरण ।
बादल भैया कहां घूम रहे हो ?
घने वन को ढूंढ रहे हो ?
आकर भाग जाते हो ?
बारिश क्यों न कर पाते हो ?
पहले खूब वृक्ष लगाओ
फिर सुसमय बारिश पाओ
कटाई पर जल्दी रोक लगाओ
संतुलित वातावरण समाज में लाओ ।
साहित्य साक्षी है
साहित्य को स्मरण है
आदिकाल से अब तक
कृति लिखी जाएंगी
चन्द्र ,सूर्य ,भू के अंत तक ।
साहित्य साक्षी है इतिहास बनकर
सर्व मूल्यांकन कर रहा है
स्वस्थ , स्वच्छ द्रष्टा बनकर
अपने आप में लिख रहा है ।
कितने अधर्मी ,आक्रमणकारी
पहले-पहल बाजी मारी
जैसे सत्य की किरणें बिखरी
वैसे ही दुष्ट , परलोभी हारी ।
नेपोलियन , सिकंदर ….ओरंगजेब
जिनको कोई रहा ना जेब
जो खुद को मानता था देव
खुद में ना मानता था ऐब ।
जिनका था खूब पहचान
उनको खाली पहुँचाया श्मशान
आज उनका क्या बचा
साहित्य सबकुछ है देख रहा ।
अच्छे काम करनेवालों का
नाम सदा ही गूंजेगा
दीन , दुखियों के उपकारी को
सब दिन मानव पुजेगा ,
कुकर्मी , धनलोलुप को
सज्जन कभी ना पूछेगा ।
हम अपनी विचारों को
जितनी दूर ले जाएंगे
उतना ही मानव के
करतूतों को जानेंगे ।
सतयुग , त्रेतायुग , द्वापर को
साहित्य अपने में समेटा है
आदि से अंत करेगा
यह भी निश्चय कर बैठा है ।

रवीन्द्र कुमार रौशन “रवीन्द्रोम”
भवानीपुर, मधेपुरा, बिहार
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