
काश कि तुमने ये बताया होता
( Kash ki tumne ye bataya hota )
काश कि तुमने ये बताया होता
कि मैं क्यों दूर होता जा रहा हूँ तुमसे
न कोई गिला-शिकवा फिर भी
बातों का सिलसिला शुरू नहीं
एक दिन, दो दिन,पाँच दिन,बीस दिन
आखिर कब तक? ये तो बताया होता ।
हौले-हौले बातें तो कम हो गई है
अब मुलाकातें भी बन्द हो जाएगी
भूले से भी क्या याद नहीं आती?
क्यों एकदम से इतना पराया कर दिया।
कुछ बात थी तो बताते मुझसे ए-यार!
हम वैसे ही अपने को दूर कर लेते।
अपना दोस्त मानता था तो फिर
क्यों नाराज़ हो गए हो मुझसे
अपना तो दोस्ती से भी बढ़ कर
रिश्ता बन गया था अपने बीच में
फिर दूर जाने की वजह तो बताई होती
हम खुद ही तुमसे किनारा कर लेते।
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लेखक :सन्दीप चौबारा
( फतेहाबाद)
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बहुत बहुत हार्दिक आभार जी आपका मेरी कविता को प्रकाशित करने के लिए?????