होली

Holi Kavita | होली के त्यौहार पर कविता

होली

( Holi )

 

रंग-बिरंगे रंगों का त्यौहार है होली

फागुन का सजीला सिंगार है होली

बेरंग ज़िंदगी में फिर लाई बहार है होली

प्राणियों में बसा सच्चा प्यार है होली ।

रंग-बिरंगे रंगों का त्यौहार है होली ।।

 

बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है होली

राधा-कृष्ण के प्रेम का अमर गीत है होली

हिर्णयकश्यपु का टुटता अंहकार है होली

भक्त प्रह्लाद की भक्ति की रसधार है होली ।

रंग-बिरंगे रंगों का त्यौहार है होली ।।

 

बच्चे-युवा लिए खड़े हैं-गुलाल और पिचकारी

एक दूजे पे रंग डालने की सबने कर रखी तैयारी

छोटे-बड़ो के बीच बसे सभ्य संस्कार है होली

प्रेम, मौज-मस्ती का व्यवहार है होली ।

रंग-बिरंगे रंगों का त्यौहार है होली ।।

 

आज सब मिलकर झूमेंगे-नाचेंगे-गाएंगे

सबके दुःख-परेशानियों मिलकर ही सुलझाएँगे ।

हिंदू-मुस्लिम सबकी खुशी का खुमार है होली ।

दिलों की दूरियाँ मिटाने को सदा तैयार है होली ।

रंग-बिरंगे रंगों का त्यौहार है होली ।।

 

रंग बिरंगे रंगों का त्यौहार है होली

फागुन का सजीला सिंगार है होली

बेरंग ज़िंदगी में फिर लाई बहार है होली

प्राणियों में बसा सच्चा प्यार है होली ।

रंग-बिरंगे रंगों का त्यौहार है होली ।।

 

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कवि : संदीप कटारिया

(करनाल ,हरियाणा)

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