Kavita | दुनिया
दुनिया
( Duniya )
रात मे चाँद को , जिसने चमकना सिखाया ।
सूरज की किरणों को ,आलोक फैलाना बताया ।।
ग्रीष्म ,वर्षा ,शीत ,बसंत ,होती अजीब घटनाएं है ।
वंदन है प्रभु ! उन्हें , जिसने ये दुनिया बनाया ।।
उफनती नदियों को , जिसने बहना सिखाया ।
गहरी काली झीलो को , शांत रहना समझाया ।।
कलकल करती मधुर ध्वनि, गिरती अनेको झरने है ।
उँचे पहाडो पर , जिसने अपना उदगम बनाया ।।
जल वायू को , जिसने जीवनदायनी बनाया ।
धरती पर जीवो को जीवन जीना सिखलाया ।।
आकाश सबका छत बनाती ,अग्नि निस्वार्थ भाव दिखलाती ।
पंचतत्व है अजर अमर जो जीवन का सार कहलाया ।।
रातो मे आकर , जिसने जागना सिखाया ।
चलती हवाओ को , जिसने मुडना सिखाया ।।
चाँद के किरणों जैसी , आती मेरे दिलो पे ।
बेरंग जिंदगी मे आकर जिसने प्यार करना सिखलाया ।।
धरती पर जीवो के लिए ,जिसने पालनहार बनाया ।
सौ दर्द सहकर हमको , इस दुनिया में लाया ।।
एक किलकारी के बदले में, हजारों आंसू कुर्बान किये ।
भगवान के रूप मे , जिसने माँ – बाप बनाया ।।
जीवो के जीवन के लिए ,जिसने ये धरती बनाई ।
आवास, भोजन का , मुख्य स्रोत बनाया ।।
देती हमें प्राण वायू ,करती जीवो की रक्षा है ।
वंदन है प्रभु ! जिसने ये पेड़ पौधा बनाया ।।
कितना तारीफ करुँ जहाँ की ,जिसने हम सबको बनाया ।
वंदन है प्रभु ! उन्हें , जिसने ये दुनिया बनाया ।।
Nice Bhaiya
धन्यवाद बहन
Very good my dear bhaiya
Tq sister