दरकार
दरकार

दरकार

( Darkar )

 

हमको  है  दरकार  तुम्हारी
हर  शर्त  स्वीकार  तुम्हारी
हमसफर हो जीवन पथ की
तुझ पर हम तो है बलिहारी

 

एक जरूरी किस्सा हो तुम
दिल की धड़कन हो प्यारी
मेरे  जीवन का हिस्सा हो
हमसफर  हो  तुम  हमारी

 

प्रेम   भरी   पुरवाई   हो
झोंका मस्त  बहार  का
सजा हुआ साज गीत का
वीणा   की   झंकार  का

 

इन सांसों की सरगम में
धुन  हो  मधुर तान  भी
शब्दों  के  मोती  दमके
कविता का गुणगान भी

 

महंकता चमन हो हमारा
खिला  रहा  जिंदगी सारी
सुंदर लगता संसार तुमसे
हमको है दरकार तुम्हारी

?

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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