Kavita | वाह रे जिन्दगी
वाह रे जिन्दगी
( Wah re zindagi )
भरोसा तेरा एक पल का नही,
और नखरे है, मौत से ज्यादा।
जितना मैं चाहता, उतना ही दूर तू जाता,
लम्हां लम्हां खत्म होकर तू खडा मुस्कुराता।
वाह रे जिन्दगी….
भरोसा तेरा एक पल का नही,
और नखरे हैं मौत से ज्यादा।
बाँध कर सांसों की डोरी, मैं खडा हो जाता,
पर रूका है तू कहाँ कब,खींच कर ले जाता।
वाह रे जिन्दगी…..
भरोसा तेरा एक पल का नही,
और नखरे है मौत से ज्यादा।
जिन्दगी के पास हो करके , ये मैनें जाना।
आज में जी ले न कल का,ठौर है ना ठिकाना।
वाह रे जिन्दगी…..
भरोसा तेरा एक पल का नही,
और नखरें है मौत से ज्यादा।
नाम जिसका था बहुत, वो भी तो जिन्दा न बचे।
खाक कर देगे जहान को, खाक में मिल खो गये।
वाह रे जिन्दगी…..
भरोसा तेरा एक पल का नही,
और नखरे है, मौत से ज्यादा।
पीर पैगंबर बचे ना, मुल्ला काजी पादरी।
मिट गए ना जाने कितने,संत साधु आरसी।
वाह रे जिन्दगी…..
भरोसा तेरा एक पल का नही,
और नखरे है मौत से ज्यादा।
तू भरोसा कितना भी दे, साथ तेरा ना रहा।
मौत ही है आखिरी, हुंकार जिससे ना बचा।
वाह रे जिन्दगी…..
भरोसा तेरा एक पल का नही,
और नखर है, मौत से ज्यादा।
कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )