आओ माँ | Aao maa kavita
” आओ माँ ”
( Aao Maa )
–> आओ मेरी जगत्-जननी माँ…….||
1.आओ मेरी जगदानन्दी, मेरे घर आंगन में |
स्वागत है अभिनन्दन है, मेरे घर आंगन में |
नौ दिन नौ रुप में आना, मेरे घर आंगन में |
ममता की नजरें फैलाना, मेरे घर आंगन में |
–> आओ मेरी जगत्-जननी माँ…….||
2.हम अबोध बालक हैं माँ, तू है जग की माता |
श्री गणेश हैं पुत्र आपके, सुभिता-बुद्धी दाता |
पुत्र कार्ति-केय सूरवीर, चहुं-दिशा में झंडे गाडे |
शिव-शंकर हैं पती आपके, सृस्टी के रखवाले |
–> आओ मेरी जगत्-जननी माँ…….||
3.सिंह के ऊपर होकर सबार, माँ आई शेरा-बाली |
लाल चुनरिया ओढ़ के आई, अष्ट-भूजाओं बाली |
भक्त जनों की रक्षा करती, कर दैत्यों का संघार है |
जो भी सच्ची भक्ती करता, मिलता माँ का प्यार है |
–> आओ मेरी जगत्-जननी माँ…….||
4.माता नहीं कहती मेरे खातिर, खर्च करो तुम पैसे |
दीन दुखी की मदद करो, और मानो माँ को दिल से |
करते हो जो दिखलाने को, मतलब नहीं दिखाबे से |
सच्ची श्रद्धा ही माँ को प्यारी, आती एक बुलावे से |
–> आओ मेरी जगत्-जननी माँ…….||
कवि : सुदीश भारतवासी