समेट लूं | Samet lun ghazal
समेट लूं
( Samet lun )
⛅
मैं प्यार का उसके रिश्ता समेट लूं
वो उम्रभर दिल में चेहरा समेट लूं
⛅
ख़ुशबू बनके सदा मुझमे महके वही
की अंश साँसों में उसका समेट लूं
⛅
जो साथ में गुजरे पल है उसके कभी
दिल में अपने मैं वो लम्हा समेट लूं
⛅
जो याद मैं दिलाता उसको ही रहूं
दिल में ही उसका हर वादा समेट लूं
⛅
अहसास नफ़रत का उसके न फ़िर लगे
वो प्यार से भरा लहज़ा समेट लूं
⛅
हो प्यार उम्रभर जिसमे भरा यारों
जीवन में कोई पल ऐसा समेट लूं
⛅
ग़म जिंदगी में आज़म की नहीं आये
कोई ख़ुशी का अब साया समेट लूं