सुदेश दीक्षित की कविताएं | Sudesh Dixit Poetry
चुपके से बड़ी मासुमियत से जो दर्द अदा कर गए।उठा न सकूं सर इतना खौफ जदा कर गए। रात गुजारी है कैसे क्या बताएं हम।हमारे ख्वाब हमी से दगा कर गए। वो डराते रहे साथ रह कर हमें सदा।फिर भी हम उनसे वफ़ा कर गए। मशगूल थे हम पुराने ग़मों को भुलाने में।चुपके से वो…