A Poem on Maa
A Poem on Maa

सबसे बड़ी है ‌रे माँ

( Sabse badi hai ‌re maa )

 

सबसे बड़ी है रे माँ
ओ भैया मेरे सबसे बड़ी है माँ

नौ माह तुझको पेट में झुलाती माँ
अपनी छाती का तुझे दूध पिलाती माँ
ख़ुद गीले में तुझको सुखे में सुलाती माँ
वो लेकर बहुत अरमान । ओ भैया मेरे

घुटन चला तो दरी बिछा देती माँ
पैरों से चलें तो घुड़ला लाकर देती माँ
गिर जाएं पड़ जाएं तो उसे उठा देती माँ
वो तेकर तुझे गोद मे । ओ भैया मेरे

चलने लगा उंगली पकड़ चलाती माँ
भूख-प्यास तेरा ध्यान भी रखती माँ
लोरी सुनाकर तुझको नींद सुलाती माँ
वो जागकर अनेंको राते । ओ भैया मेरे

दौड़ने लगा स्कूल छोड़ आती माँ
स्कूल जाएं रोटी टिफिन बनाती माँ
वापस आएं तब घर तुझको पढ़ाती माँ
वो सोचे करेगा मेरा नाम । ओ भैया मेरे

बड़ा हुआ तो तेरी शादी रचावे माँ
फूल सी कोमल बहू लेकर आती माँ
अपनी बेटी से ज्यादा प्यार लुटाती माँ
वो आस करें पोते का । ओ भैया मेरे

सभी बच्चों का लाड़-लडा़ती माँ
अपना प्यार पोते-पोती पर लुटाती माँ
आस-पड़ोस सब में मिठाई बटाती माँ
वो देती कई आशीष । ओ भैया मेरे

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

संत कबीर दास | Kabir Das

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here