संत कबीर दास
( Sant Kabir Das )
भारत की इस पावन धरती पर,
जन्में थें ऐसे महान संत कबीर।
जन्म स्थान था लहरतारा ताल,
पुत्र-पुत्री थें कमाली व क़माल।।
माता थी नीमा व नीरु था पिता,
पत्नी का नाम था उनकी लोई।
कर्मभूमि इनकी काशी बनारस,
कवि महान ये समाज सुधारक।।
सूत काटकर यह कपड़ा बनातें,
मंदिर मस्जिद मूर्ति नहीं मानते।
जगत गुरु कहलाऍं सन्त कबीर,
हुऍं काफी प्रसिद्ध सभी जानतें।।
ख़ुद कबीरसाहेब के प्यारे बोल,
लिखा शिष्यों ने ग्रन्थों में तोल।
उनके दोहे, कृतियां प्रसिद्ध हुऍं,
आज पढ़ते सब जो है अनमोल।।
अतुलनिय एवं मन के अहसास,
स्वयं जीता दुनियां का विश्वास।
लिखकर सत्यता किया प्रकाश,
सत्य अंधविश्वास अनुभव दास।।
रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )