आदमियत

( Aadamiyat )

 

आया हुआ आज रुकता नही
आनेवाले कल को कोई रोक सकता नहीं
इन्ही के बीच भागती हुई जिंदगी मे भी
कोई समरसता नहीं

क्या खो चुके हो और क्या खो दोगे
यह आपके समझ की बात है
किंतु,वसीयत मे क्या रख पाओगे
यह आपके निर्णय की बात है

स्वयं आपका कुछ नही
फिर भी जिम्मेदार आप हैं
बनने के भी बिगड़ने के भी

चलना ही काफी नही होता
कहंतक और किसके साथ पहुंचे
आपकी पहचान इसी से होती है

बाधाओं का उलाहना ठीक नही
परिणाम मे ही सार्थकता है
समय,मौसम,रास्ते,जमाना
कभी किसी के लिए भी
अलग नही होते

आपकी स्वीकृति और परख ही
व्यक्तित्व का निर्माण करती है
आदमी तो सभी हैं
मोल तो अदमियत का होता है

मोहन तिवारी

( मुंबई )

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