नग्नता

( Nagnata ) 

 

नग्नता का विरोध तो सभी करते हैं
किंतु,
अपने ही घर से उभरती नग्नता को
रोक नही पाते
मां और बाबूजी के स्थान पर
मॉम और डैड सुनने से
स्वाभिमान गौरवान्वित होता है…..

यहां आओ बेटा ,बैठ जाओ
खड़े हो जाओ की जगह
कम कम , सिट हियर, या
स्टैंड अप से ही
शिक्षा साफलीभूत होती है…

शुभ की शुभता को नकारकर
शुभ संध्या ,शुभ प्रभात नही
गुड मॉर्निंग ,गुड नाईट मे
सभ्यता अधिक झलकती है…..

शिक्षा ज्ञान की जगह केवल
जानकारी और समझने की योग्यता ही देती है
ज्ञान तो
अनुभव ,संस्कार ,और सदसंगत से ही प्राप्त होता है !

बदलाव बाहर से नही
भीतर से होना जरूरी है.

 

मोहन तिवारी

 ( मुंबई )

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