
आज अपना हबीब है देखा
( Aaj apna habib hai dekha )
आज अपना हबीब है देखा
पास किसी के करीब है देखा
मत कर इतना गरूर ख़ुद पे तू
हाँ बिगड़ते नसीब है देखा
बोलते हक़ में सच के मैंनें तो
आज मैंनें रकीब है देखा
है परेशां यहां तो हर कोई
ऐसा मौसम अजीब है देखा
जो किसी का भला न कर सकता
दिल से ऐसा ग़रीब है देखा
दें दवा जो ग़मों की मेरे तो
की बहुत वो तबीब है देखा
जो ख़ुशी से लिए तरसा आज़म
पल ऐसा बदनसीब है देखा
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
यह भी पढ़ें : –