आजकल मिलनें को दिल मजबूर है

आजकल मिलनें को दिल मजबूर है | Dil majboor shayari

आजकल मिलने को दिल मजबूर है

( Aaj kal milne ko dil majboor hai ) 

 

आजकल मिलनें को दिल मजबूर है
हाँ मगर मुझसे जो रहता दूर है

 

सच कहूं उससे बिछड़कर के मगर
रोज़ दिल मेरा यादों में चूर है

 

हर क़दम पे साथ तेरा देगें हम
प्यार क्या मेरा सनम मंजूर है

 

हो गयी क्या बात उसके साथ में
किसलिए वो आजकल रंजूर है

 

ढूंढ़ता हूँ मैं उजालों में दिन के
ख़्वाब में आये मेरे जो हूर है

 

दिल फ़िदा आज़म उसी पे हो गया
राह में मुझको मिली जो हूर है

 

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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