Aakhir Mein

आखिर में | Aakhir Mein

आखिर में

( Aakhir Mein ) 

 

आज के इस विकास शील माहौल में
घर का मुखिया होना गुनाह नहीं है
किंतु ,
परिवार के भविष्य के लिए
स्वयं के भविष्य को भुला देना ही
सबसे बड़ा गुनाह है

बेशक, परिवार आपका है
जिम्मेदारी और उत्तरदायित्व आपकी है
धर्म कर्म सभी
परिवार के लिए जरूरी है
फिर भी,
जब ,सब भर आप उठा रहे हैं
तब,अपना स्वयं का भार
और के भरोसे छोड़ देना
भ्रम है ,स्वयं से ही स्वयं के लिए विश्वास घात है

समय बदला ,माहौल बदला, सोच बदली
आप यदि ऐसे में ना बदले तो
आप ऐसे मे समझौते के ही योग्य हैं

सफल होकर भी निष्फल है
भावनाएं आप में हो सकती हैं
पर , उनकी कद्र करेगा कौन
आपको आदर ,सम्मान ,जरूरतों की पूर्ति करेगा कौन
जब आप देने की नहीं
लेने की अवस्था में होंगे

जरूरी तो नहीं की दूसरा भी पहले के जैसा ही हो
अब पहला
पंक्ति के आखिर में कब पहुंच जाता है
यह बात उसे आखिर में ही पता चलती है

मोहन तिवारी

( मुंबई )

यह भी पढ़ें :-

मिठास | Mithaas

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *