आँसुओं में ग़मों को बहाता है क्यूं
आँसुओं में ग़मों को बहाता है क्यूं

आँसुओं में ग़मों को बहाता है क्यूं

( Aansuon mein gham ko badhata hai kyon ) 

 

आँसुओं में ग़मों को बहाता है क्यूं।
जो ख़ज़ाना है उसको लुटाता है क्यूं।।

 

कौन समझा किसी दिल पे गुजरी हुई ।
ज़ख्म दिलके सभीको दिखाताहै क्यूं।।

 

फल मिलेगा सभी को किए का यहां।
पाप करते हुए भूल जाता है क्यूं।।

 

भूल जाता सुखों में खुदा को बशर
दुःख में ही सदा याद आता है क्यूं।।

 

आज है यार बेशक दुश्मनी कल करे।
राज़ दिलके किसी को बताता है क्यूं।।

 

जान पाया ज़माना ना तुझ को‘कुमार’
ब्यान कर शायरी में जताता है क्यूं।।

 

कवि व शायर: Ⓜ मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)

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