आपका ह़ुस्न-ए-क़यामत | Aap ka Husn-e-Qayamat
आपका ह़ुस्न-ए-क़यामत
( Aap ka Husn-e-Qayamat )
आप का ह़ुस्न-ए-क़यामत आह हा हा आह हा।
उस पे यह रंग-ए-ज़राफ़त आह हा हा आह हा।
देख कर तर्ज़-ए-तकल्लुम आप का जान-ए-ग़ज़ल।
मिल रही है दिल को फ़रह़त आह हा हा आह हा।
फूल जैसे आप के यह सुर्ख़ लब जान-ए-चमन।
उन पे फिर लफ़्ज़-ए-मुह़ब्बत आह हा हा आह हा।
आप के ग़म को गले से क्या लगाया बाख़ुदा।
मिल गई हर ग़म से राह़त आह हा हा आह हा।
यूं तो हमने सैंकड़ों देखे हैं खिलते गुल मगर।
आप की नाज़-ओ-नज़ाकत आह हा आह हा।
आप के आने से आई सह़ने गुलशन में बहार।
देखिए फूलों निकहत आह हा हा आह हा।
आ के दिल से क्या लगाया आप ने हमको फ़राज़।
छा गई हर सू मुसर्रत आह हा हा आह हा।
पीपलसानवी