आश हम्द की शायरी | Aash Hamd Shayari
संघर्ष ही जीवन है
संघर्ष ही जीवन है इसके साथ ही आगे बढ़ना है,
एक बार चल पड़े हैं तो अब पीछे नहीं मुड़ना है।
ररुकावटें मौज बन आती ही जा रही हैं राहों में,
क़ैद है ज़िंदगी जैसे इस दुनिया की निगाहों में,
इन नज़र के सलाखों को हर हाल में तोड़ना है,
जब चल पड़े हैं तो अब पीछे नहीं मुड़ना है।
पांव में पड़ रहे हैं छाले, फिर भी हम चल रहे हैं,
सारी तकलीफों को तज कर हम आगे बढ़ रहे हैं,
अब इस दर्द को ही अपनी ताकत मुझे बनाना है,
जब चल ही पड़े हैं तो अब पीछे नहीं मुड़ना है।
“सुनो ऐ जिंदगी” तुम और कितना मुझे सताओगी,
गिराओगी जितना और उठता ही मुझे पाओगी,
ज़िन्दगी तुझको तो अब मेरे संग संग ही चलना है,
जब चल पड़े हैं तो अब पीछे नहीं मुड़ना है।
लाख जतन करले कोई अब मुझे डिगा नहीं सकता,
चट्टानी इरादों को अब तो मेरे मिटा नहीं सकता,
पत्थरों पर चलकर ही मंजिल तक मुझे पहुंचना है,
एक बार चल पड़े हैं तो अब नहीं पीछे मुड़ना है।
ज़िन्दगी क्या है
सबकी अपनी सोच है, अपना ही नज़रिया है,
ज़िंदगी है एक सफ़र, और ख़्यालों का दरिया है,
तदबीर करें ऐसी , बनाए मोहब्बतों की दुनिया,
सुर्खरु लौटें घर, बेहतरीन आमाल बने ज़रिया,
कभी सोचा ज़िन्दगी क्या है, क्यों आए जहां में,
क्यों भेजा हमें ख़ुदा ने, इस किराए के मकां में,
मज़लूमों पर रहम का, जज़्बा हो हमारे दिल में,
यूँ ही नहीं आज़माता ख़ुदा, डालकर मुश्किल में,
मत रखो दिलों में रंज़िशें, ये ज़िन्दगी तो फ़ानी है,
मोहब्बतें बाँटें पल में हयाते-परिंदे को उड़ जानी है!
आश हम्द
पटना ( बिहार )
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