
आत्महत्या बुजदिलों का काम
( Aatmahatya buzdilon ka kam )
आत्महत्या करना बुजदिलों का काम,
कोई नहीं करें यह शैतानों वाला काम।
यह आत्महत्या कोई समाधान नहीं है,
कष्ट एवं परेशानी का निवारण नहीं है।।
हौंसला एवं हिम्मत रखों सब हृदय में,
हार और जीत चलती रहतीं जीवन में।
खट-पट गिरना व उठना चलता-रहता,
बस एक बार झाॅंको तों अपनें दिल में।।
बाल्टी झुकती कुएँ में उतारने के बाद,
पर झुककर वह भरकर ही निकलती।
मानव जीवन भी कुछ ऐसा ही है यारों,
गिरकर सम्भले तो ये जिंदगी सॅंवरती।।
तुम अपनें कदमों को जहाँ रखदे यारें,
ज़मीन आसमान एक हो जाऍंगे प्यारे।
सभी पर रहतें है ये भगवान मेहरबान,
कुछ परिवार का भी ध्यान करो प्यारे।।
समस्या से निपटने का जज़्बा तुझमें,
तू चाहें तो नीर निकाल देगा पत्थर में।
आत्महत्या करना कोई समाधान नहीं,
जिसने भी किया वो कोई महान नहीं।।
रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )
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