अब सर्वत्र राम लला

( Ab sarvatra ram lala )

 

प्रतीक्षा सूर्य ढल चला,अब सर्वत्र राम लला

इक्कीस जनवरी संग विलोपित,
कष्ट दुःख विरह घड़ियां ।
बाईस जनवरी अंतर्निहित,
राम दर्शन सकल कड़ियां।
पांच सौ वर्ष दीर्घ तपस्या,
हिंदुत्व पुष्प फिर भव्य खिला।
प्रतीक्षा सूर्य ढल चला,अब सर्वत्र राम लला ।।

घोर संघर्ष वेदना तिरस्कार,
अग्नि परीक्षा न्यायालय पटल ।
अवांछित अनैतिक बाधाएं,
पर राम पक्ष शाश्वत अटल ।
परम आस्था भाव भक्तजन,
कार सेवक तप उत्सर्ग फला ।
प्रतीक्षा सूर्य ढल चला,अब सर्वत्र राम लला ।।

परिवेश उत्संग आह्लाद अनंत,
रज रज अंतर राम रमन ।
शीतल मृदुल मधुर व्यवहार,
उग्र आवेश मूल शमन ।
हिंदुत्व शंखनाद दिव्य अवसर,
घट पट अपनत्व अथाह पला ।
प्रतीक्षा सूर्य ढल चला,अब सर्वत्र राम लला ।।

कलयुग आभा चैतन्य प्रभा,
श्री गणेश राम अनूप अध्याय ।
आदर्श मर्यादा संस्कार वंदन,
जीवन पथ आनंद पर्याय ।
ब्रह्मांड गूंज जय श्री राम उद्घोष,
अभिदर्शन राघव द्वादश कला ।
प्रतीक्षा सूर्य ढल चला,अब सर्वत्र राम लला ।।

महेन्द्र कुमार

नवलगढ़ (राजस्थान)

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