अगर जो उससे प्यार नहीं होता
ए यार अगर जो उससे प्यार नहीं होता
यूं रात भर मैं ही फ़िर बेदार नहीं होता
हम अजनबी होते इस शहर में दोनों फ़िर
वो मेरा अगर जो की ए यार नहीं होता
हम जंग नहीं देते फ़िर जीतने दुश्मन को
की दोस्त अगर मेरा अय्यार नहीं होता
बीमार नहीं होता दिल मेरा उदासी से
जो प्यार अगर मेरा इंकार नहीं होता
जज्बातों से ही आता है खेलना उसको
वो अपनी ही आदत से शर्मसार नहीं होता
रहते हमेशा सच्चे हम दोस्त बनके दोनों
जो दुश्मनी का मुझपे ही वार नहीं होता
तू देखकर ए आज़म घर में सजाना अपनें
हर फूल गुलशन में ख़ुशबूदार नहीं होता