Ahir Regiment par kavita
Ahir Regiment par kavita

अहीर रेजिमेंट!

( Ahir Regiment )

 

सरहद पे दुश्मन की पैनी निगाहें,
फिर से अहीर रेजिमेंट बनाएँ।

यदुवंशियों की है लंबी कहानी,
चीन भी देखा है इनकी जवानी।
आओ उस हक़ को वापस दिलाएँ,
फिर से अहीर रेजिमेंट बनाएँ,
सरहद पे दुश्मन की पैनी निगाहें,
फिर से अहीर रेजिमेंट बनाएँ।

आँसू से आँचल कभी न भिगोना,
शहादत पे मेरी कभी तू न रोना।
लिपटकर तिरंगे में भले घर को आएँ,
फिर से अहीर रेजिमेंट बनाएँ,
सरहद पे दुश्मन की पैनी निगाहें,
फिर से अहीर रेजिमेंट बनाएँ।

मुगलों, फिरंगियों ने देखी परिपाटी,
छलनी किए थे हम दुश्मन की छाती।
मुल्क की हिफाजत में कदम ये बढ़ाएँ,
फिर से अहीर रेजिमेंट बनाएँ,
सरहद पे दुश्मन की पैनी निगाहें,
फिर से अहीर रेजिमेंट बनाएँ।

हमारी शहादत से अम्बर थर्राये,
धरती का आँचल सरकने न पाए।
ऐसे जांबाजों का दिल न दुखाएँ,
फिर से अहीर रेजिमेंट बनाएँ,
सरहद पे दुश्मन की पैनी निगाहें,
फिर से अहीर रेजिमेंट बनाएँ।

दुश्मन के खूँ से हम हैं नहाते,
काल के काल को रस्ता दिखाते।
नारायणी जैसी सेना सजाएँ,
फिर से अहीर रेजिमेंट बनाएँ,
सरहद पे दुश्मन की पैनी निगाहें,
फिर से अहीर रेजिमेंट बनाएँ।

 

रामकेश एम यादव (कवि, साहित्यकार)
( मुंबई )
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