किसान!
( Kisaan )
किसान दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
देश की बुनियाद होता है किसान,
हरेक का पेट भरता है किसान।
बारी-बारी इम्तिहान मौसम लेते,
खून-पसीना देखो बहाता किसान।
चीरता है कोख जब धरती का वो,
तब जाकर अन्न उगाता है किसान।
पीकर गरल वो पिलाता है अमृत,
बादल को जमीं पे बुलाता किसान।
खेत- खलिहान यही उसका तीर्थ,
उसी की पूजा करता है किसान।
गुर्बत में वो काट देता है जिन्दगी,
रात के आंचल में सोता किसान।
फसलें गाती हैं देखो जब नग्में,
तब झूम उठता है खेत में किसान।
चाँदी के तराजू तब सपने तौलता ,
सितारों से ऊँचा दिखता किसान।
पसलियों से आँतें भले सट जातीं,
लालच की लार न टपकाता किसान।
बुनता है ख्वाब देश की तरक्की का,
धूप के झूले में है झूलता किसान।
जख्म है कितना कोई कैसे गिने,
मायूस कभी भी न होता किसान।
भुलाता है गम और उठाता है बोझ ,
पर्वत-सा जिगर वो रखता किसान।
सर पर टोकरी हाथ में फावड़ा,
काँधे पे हल लेकर चलता किसान।
उगलती तब धरती सोने का दाना,
गरीबी का जबड़ा तोड़ता किसान।