अलग अलग भगवान न होगा

( Alag alag bhagwan na hoga )

 

अलग अलग देवालय हैं पर
अलग अलग भगवान न होगा ।
भिन्न भावना होने से क्या
पूजा का अपमान न होगा।

एक ज्योति ही, जलती सब में
मन्दिर मस्जिद गुरुद्वारों में।
किन्तु उसे वे देख न पाते
भटक रहे जो अंधियारों में।

यदि मन में समभाव नहीं तो
श्रद्धा का सम्मान न होगा।
अलग अलग देवालय हैं पर
अलग अलग भगवान न होगा।

अपना अपना ग्यान सभी का,
एक नहीं हैं सबकी मतियां।
अर्चन वंदन आराधन की,
कितनी ही चलती पद्धतियां।

अपना और पराया ईश्वर,
यह कोई प्रतिमान न होगा।
अलग अलग देवालय हैं पर
अलग अलग भगवान न होगा।

समुचित नहीं चलाते जाना,
भेदभाव की यह परिपाटी।
विविधाकार पात्र के होते,
किन्तु एक ही सब में माटी।

एक सूर्य ही भासमान यदि
अपना और विहान न होगा।
अलग अलग देवालय हैं पर
अलग अलग भगवान न होगा।

sushil bajpai

सुशील चन्द्र बाजपेयी

लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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