अलौकिक भारत भूमि
अलौकिक भारत भूमि
ज्ञान विज्ञान का पोषक रहा भारत ,
ज्योतिषी ज्ञान,जग को वेद दिया ।
शुश्रुत ने दी शल्य चिकित्सा वही,
चरक,धनवंतरी ने आयुर्वेद दिया।।
वराहमिहिर,ब्रह्मगुप्त,बौधयान और,
कणाद,भास्कराचार्य विज्ञ यही हुए।
जहाँ आर्यभट्ट ने जग को शून्य दिया,
तो योग पतंजलि से लोग नीरोग हुए।।
विदुषी, मनीषियों से भरा देश मेरा,
कला साहित्य में सदा समृद्ध रहा।
कालिदास,कबीरा ,तुलसी,जायसी ,
सूर,मीरा,रत्नाकर कर वद्ध रहा।।
सदा परहित प्रेम पहचान हमारी,
हम सबसे पहले लोकतंत्र वादी हैं।
शिव,कर्ण, दधीच से महादानी हुए,
हम विश्वशान्ति,कल्याणकवादी हैं।।
है चिर पुरातन धर्म सनातन जिसने,
कई रीति, संस्कृतियों को सींचा है।
हमने आध्यात्म,ज्ञान,विज्ञान के बल,
आनंद से जीवन जीना सीखा है।।
हम गर्व करें भारतीय संस्कृति पर,
जिसकी परिपाटी आदर्श वादी है।
‘वसुधैव कुटुंबकम’ सदा ध्येय रहा,
हम ‘अतिथि देवो भव:’ संवादी है।।

भगवान दास शर्मा ‘प्रशांत’
शिक्षक सह साहित्यकार
इटावा उ.प्र.