आना किसी दिन | Aana kisi din | love poetry in Hindi
आना किसी दिन
( Aana kisi din )
किसी दिन आना
और पास आकर
दिल से पूछना…
कि दोस्त…….
क्या रंज है तुम्हें…..?
नाराज़ हो क्या….?
किस बात से ख़फ़ा हो…..?
मुझसे रुसवा क्यूँ हो…….?
अब तुम दूर से पूछोगे तो
सब ख़रीयत ही
बताएँगे न…….
सब सकुशल ही कहेंगे न………
अब दूर से हो तो
क्या हालात बताएँ तुम्हें…….!
कभी पूछना
एकांत में बैठ कर
इत्मीनान से फुरसत में
कि मैं क्यूँ ख़फ़ा हूँ तुझसे!
सच कहूँ मीत……
उस दिन तुम दिल से पूछोगे तो
तुझसे अपनी नाराजगी की
वजह भी बताएँगे………
तेरी खताएँ भी गिनवाएंगे!
आना किसी दिन
हम तुम्हें अपना
हाल-ए-दिल
खोल कर बताएँगे……..
कुछ नहीं छिपाएंगे तुमसे………
आना किसी दिन फुरसत में………….!!