अंगदान है महादान

( Angdaan hai mahadaan )

 

चलों साथियों दिलदार बनों और करों अंगों का दान,
महादान का हिस्सा बनकर बन जाओ सभी महान।
समझो इसकी अहमियत करों प्रोत्साहित हर इंसान,
यह अमूल्य-उपहार है जो बचाता मरीज़ की जान।।

जीवित चाहें मृत व्यक्ति जिसका कर सकता है दान,
पहले नेत्रदान एवं रक्तदान था अब करना अंगदान।
समझे इसकी प्रक्रिया को यह नहीं किसी का दबाव,
किसी का अधूरा-हिस्सा पूरा करके देता नई जान।।

इसका एक दातार बचाता है 8 जरुरतमंदों की जान,
सबका जीवन समान रूप से जो होता है मूल्यवान।
इसके लिए अभी जागरूक एवं शिक्षा का है ‌अभाव,
अधिकतर जो अपनें ही परिवार में कर रहें है दान।।

दोनों-गुर्दे यकृत फेफड़ें हृदय ऑंत एवं ये अग्न्याशय,
पाचक ग्रन्थि ऑंख अस्थि उत्तक हृदय छिद्र व नसें।
कार्निया हृदय वाल्व कार्टिलेज हड्डियां एवम वेसेल्स,
इन अंगों का दान करके पुण्य कमा सकते है जैसे।।

आज रक्तदान का महत्व जैसे समझें है दुनिया-वाले,
वैसे ही जागरुकता लाएं बन जाओ सभी दिलवाले।
न्यूनतम उम्र यह 18 साल है जिसके लिए अनिवार्य,
पारंपरिक ये सोच मिटाओ न करों आग के हवाले।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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