आराम

“यहाँ क्या कर रहे हो?” अस्पताल में वेंटिलेटर पर अशोक को लेटा देखकर विनोद ने पूछा।

“आराम” अशोक ने जवाब दिया

“वो तो दिख रहा है। यह सब कैसे हुआ?”

“बड़े भाई, हर समय काम, काम और काम। काम के सिलसिले में मैंने आराम करने का बिल्कुल ध्यान नहीं रखा। नतीजा यह हुआ कि अब अस्पताल में आराम करना पड़ रहा है। काश पहले आराम कर लेता तो यह सब नहीं होता। काम के चक्कर में आराम करना भूल गया।

एक साथ गन्ने की दो पर्ची आ गयी थी। सोच रहा था कि पर्ची डालकर ही इकट्ठा आराम करूंगा। लेकिन ऐसा हो न सका… होनी को कौन टाल सकता है? ट्रैक्टर-ट्राली पर गन्ना लादते समय पैर स्लिप मार गया और मैं ट्राली से नीचे गिर गया और पैर में फ्रैक्चर करवा बैठा। घर वालों ने खूब कहा कि लगातार काम मत कर।

आराम कर ले। शरीर को कुछ आराम भी चाहिए होता है। लेकिन मैंने ही कहना ना माना। सोचा, इकट्ठा ही आराम कर लूंगा। क्या पता था कि यह हालत हो जाएगी? अब तो यह समझ लो की 3 महीने पूरे आराम पर हूँ। काश, दो तीन घण्टे शरीर को आराम दे दिया होता तो यह सब ना देखना पड़ता…”

ऐसा क्यों होता है कि हम अपनी जिंदगी में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि सिर पर सिर्फ काम की धुन सवार रहती है। इस व्यस्त एवं भाग-दौड़ भरे जीवन में हम यह भी भूल जाते हैं कि यह शरीर ही हमारा अपना है, हमारा साथी है।

अगर यह ठीक है तो हम जिंदगी का लंबा सफर आसानी से तय कर सकते हैं और अगर यह अस्वस्थ है तो जिंदगी की डोर कब छूट जाए? कह नहीं सकते। अतः सिर्फ पैसा कमाने के लिए अपने शरीर का सत्यानाश कर लेना बहुत गलत है। पूरी जिंदगी पैसा कमा कर… दुर्घटना होने पर या अस्वस्थ होने पर वही पैसा शरीर पर लगाना कितना सही है? इससे अच्छा तो यही है कि हम शरीर की जरूरत को समझें।

उसके मुताबिक चीजों को खाएं, जरूरत पड़ने पर शरीर को आराम दें। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम करें। इससे न सिर्फ हम स्वस्थ रहेंगे, बल्कि हमारा परिवार भी हम से खुश रहेगा क्योंकि तब हम उनके लिए और ज्यादा कर सकेंगे। हमारी सच्ची खुशी हमारे अपनों के साथ रहने में है। उनके साथ सुख दुख बांटने में है। शरीर का स्वस्थ होना बेहद जरूरी है।

जब तक शरीर ठीक है, तब तक सब अपने हैं। अगर हम अपाहिज हो गए, गम्भीर बीमारी से ग्रस्त हो गए या अस्वस्थ होकर परिवार पर आश्रित हो गए तो कोई भी कितना सगा क्यों ना हो, पत्नी व बच्चे ही क्यों ना हो? वे भी एक दिन आपसे उकता जाएंगे।

आपसे परेशान होकर आपको मरने के लिए छोड़ देंगे। तब आपको एहसास होगा कि वे कितने गलत थे। जिनके लिए हम सब कुछ करते आ रहे थे, दिन रात उनके लिए एक कर दिया, अपने शरीर का नाश कर लिया, वही हमारे शरीर के बेकार होने पर हमारी दुर्गति कर देंगे, हमें नजर अंदाज करना शुरू कर देंगे। यह स्थिति हमारे लिए पीड़ादायक होगी।

तब हमें लगेगा काश.. इस सत्य को, इस सच्चाई को हम पहले जान चुके होते तो आज इस तरह की स्थिति का हमें सामना न करना पड़ता। अतः समय रहते, सचेत होकर अपने शरीर का ध्यान रखना, उसको आराम देना, हर वह चीज ग्रहण करना जो शरीर की पौष्टिकता के लिए, स्वस्थ रखने के लिए लाभदायक है, लेना बेहद जरूरी है।

लेखक:- डॉ० भूपेंद्र सिंह, अमरोहा

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