वर्तमान समय में देखा जाए तो भूत प्रेत की मान्यता से लगभग सारा संसार जकड़ा हुआ है। किंतु भूत प्रेत आदि क्या है? कैसे हैं ? या नहीं हैं? इस विषय में कोई प्रामाणिक एवं वैज्ञानिक तथ्य तक नहीं पहुंच पाया है। इसीलिए समाज में तरह-तरह के भूत- प्रेत के नाम पर नौटंकीया चलती रहती हैं।

देखा गया है की कुछ लोग स्वार्थ के बंसीभूत होकर जनसाधारण को ठगने के लिए भूत प्रेत का सहारा लेते हैं । जनता में कल्पित भय बनाकर जान माल की हानि करते हैं।

भूत प्रेत की जो छवि हमारे मानस पटल पर व्याप्त है उसकी वास्तविक सत्ता कहीं भी दृष्टिगोचर नहीं होती। भूत बीते हुए समय को कहते हैं और प्रेत मृतक शरीर (शव) को कहते हैं। वैसे अग्नि वायु जल पृथ्वी आकाश नामक पंच महाभूत होते हैं इन्हीं से हमारा शरीर बनता है।

वर्तमान समय में इस वैज्ञानिक युग में भी जहां हम चांद पर पहुंच चुके हैं वहीं अधिकांश अशिक्षित तथा कुछ शिक्षित लोग भी भूत प्रेत नामक काल्पनिक अदृश्य शक्ति का अस्तित्व मानते हैं।

महिलाएं प्राय: अंधविश्वासी होती हैं। वह अपने बच्चों तथा परिवार के अन्य लोगों पर भी इस प्रकार का संस्कार डालती हैं कि कुछ लोग मन में भूत -प्रेत की कल्पना लिए रहते हैं। यह संस्कार पीढ़ी दर पीढ़ी परिवारों में चलता रहता है।

यही कारण है कि समाज में बहुत से व्यक्ति प्रेत बाधाओ से अपनी रक्षा के लिए गंडे ताबीज आज भी बनवाकर पहनते हैं ।कोई मानसिक या शारीरिक रोग होने पर उसे भूत लीला या प्रेत बाधा समझा कर ओझा सोखा सयानो के यहां दर-दर की ठोकरे खाते हैं या झाड़ फूंक करवाते रहते हैं। ऐसे व्यक्ति जीवन भर दुख पाते हैं।

कोई ओझा सोखा ऐसे रोगियों को भस्म अर्थात राख में दवाई मिलाकर खाने को देते हैं तथा उसके प्रभाव से रोगी के ठीक हो जाने पर अपने तंत्र मंत्र या गंडे ताबीज के ही प्रभावशाली होने के लिए डींग हांकते हैं।

इससे रोगी और उसके परिजन का भूत प्रेत के प्रति और अधिक विश्वास बढ़ जाता है। यदि सही इलाज ना हो पाने के कारण ऐसा रोगी मर जाता है तो ओझा सोखा या मौलवी कह देते हैं की बहुत बड़ा भयंकर था इसलिए हम उसे जीत नहीं पाए ।वह अभी और भी खतरा पैदा कर सकता है। अतः उसकी शांति के लिए तंत्र-मंत्र करवा लीजिए।

इस प्रकार अंधविश्वासी लोग जीवन भर उसके ठगाई में आते रहते हैं और चालाक व धूर्त लोग उन्हें ठग कर अपना उल्लू सीधा करते रहते हैं।

अंधविश्वास से ग्रस्त साधारण जनता यह मानती है कि भूत प्रेत या शैतान आदि नाम की कुछ अदृश्य शक्तियां होती हैं जो कुछ व्यक्तियों पर अपना अधिकार जमा लेती है ।उन्हें परेशान करती हैं या उनसे मनमाने संभव अथवा असंभव चमत्कार कार्य करवाते हैं।

देखा गया है कि भूत प्रेत से पीड़ित व्यक्ति अपने होश में नहीं रहता है और यह अदृश्य शक्तियां उसे पर सवार हो कर उसके शरीर में प्रवेश करके उसके माध्यम से अपनी बात कहती रहती हैं।

कभी-कभी देखा गया है कि किसी घर में भी भूत प्रेत ब्रह्म या जिन्न शैतान अपना अधिकार जमा लेते हैं। ऐसे घर में अनेक अनहोनी , आश्चर्यजनक घटनाएं होने के बात भी कही जाती हैं। यदि कोई बुद्धिमान व्यक्ति ऐसी घटनाओं के गहन जांच करें तो उसके रहस्य की पोल खुलने में कुछ भी देर नहीं लगती है।

देखा गया है की कभी-कभी तो घर को भूतहा समझ कर उसमें रहने वाले लोग उस घर को छोड़ देते हैं और उसे आधे पौने दाम पर बेच देते हैं। इससे घर बेचने वाले को बहुत बड़ी आर्थिक हानि उठानी पड़ती है ।

ऐसा घर खरीदने वाला यदि अंधविश्वासी होता है तो घर शुद्ध कराने के लिए ओझा सोखा या मौलवी की शरण में जाता है ।वे लोग उसे मोटी रकम ऐठकर उसे अच्छा खासा चूना लगाते हैं।

हमारे जानकारी में भी हमारे गांव में ऐसी कई घटनाएं हो चुके हैं। भूत प्रेत के शिकार अशिक्षित ही नहीं बल्कि शिक्षित व्यक्ति भी हो जाते हैं । उसका कारण यह है की बचपन से उन्हें भूत प्रेत की कहानी सुनाई जाती हैं।

अमुक स्थान पर न जाना वहां भूत प्रेत रहते हैं। इस प्रकार के निर्देश दिए जाते हैं। यह संस्कार जीवन भर उनके मन में बना रहता है ।शिक्षा के माध्यम से इस प्रकार के अंधविश्वास को दूर करने का कोई प्रयास नहीं किया जाता है ।यही कारण है कि शिक्षित लोग भी भ्रम के शिकार होकर अपना धन गवा बैठते हैं।

ऐसे शिक्षित अंधविश्वासी लोगों के लिए ही अशिक्षित लोग भी कहते हैं कि पढ़े-लिखे लोग भी भूत-प्रेत मानते हैं इसलिए भूत-प्रेत अवश्य होता है। अक्सर देखा गया है कि भूत प्रेत के मानने वाले परिवारों में कलह ज्यादा होती है।

जब किसी व्यक्ति को कोई मानसिक या शारीरिक रोग हो जाता है और वह उस रोग का कारण भूत लीला या प्रेत लीला समझ कर उसके निवारण के लिए किसी ओझा सोखा या मौलवी आदि के पास जाता है तब उसे ठीक कर देने का दावा करने वाले ओझा सोखा मौलवी आदि उसे कहते हैं कि तुम्हारे अमुक निकट संबंधी भाभी भाई पड़ोसी या कोई स्त्री पुरुष ने भूत कर दिया है।

ऐसा कह कर भूत उतारने का पेसा करने वाले पीड़ित व्यक्ति या उसके परिवार से खूब धन तो ऐंठते ही हैं। निकट के रिश्तों में भी सदा सदा के लिए स्थाई दरार पैदा कर देते हैं।

अक्सर देखा गया है कि भूत प्रेत के नाम पर कमाई करने वाले ना जाने कितने परिवारों में फूट डालकर घर तबाह कर दिया।

वास्तव में भूत प्रेत और जिन्न शैतान आदि नाम से प्रचलित अदृश्य काल्पनिक शक्तियों की मान्यता राष्ट्र , समाज, परिवार के लिए बहुत ही हानिकारक है। ऐसी मान्यताओं का कोई वैज्ञानिक, शास्त्रीय या फिर तार्किक आधार नहीं है।

आता समाज के प्रबुद्ध वर्ग को चाहिए कि ऐसी मान्यताओं को वह लोगों में समझाने का सही रूप में प्रयास करें। बच्चों के अंदर भूल से भी इस प्रकार की चर्चा ना करें।विद्यालयों में भूत प्रेत की सत्यता एवं असत्यता पर चर्चा की जाए।

जो बच्चे गंडे ताबीज आदि पहन कर आए हो उनकी वास्तविकता उन्हें बताई जाए। जिससे वह बचपन से ही उनके अंदर एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास हो सके।

योगाचार्य धर्मचंद्र जी
नरई फूलपुर ( प्रयागराज )

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