अरमां यूं भी मरते देखा

अरमां यूं भी मरते देखा

अरमां यूं भी मरते देखा

 

अरमां यूं भी मरते देखा।
दिल ही दिल में पलते देखा।।

 

आगे बढता देख किसी को।
दिल दुनिया का जलते देखा।।

 

दुनियादारी के रिश्तों में।
सबका ढंग बदलते देखा।।

 

गर्व करे तू क्या यौवन का।
वक्त पडे सब ढलते देखा।।

 

दो कौङी के लोगों का भी।
सिक्का हमने चलते देखा।।

 

पत्नी-पति को आपस ही में।
इक दूजे को छलते देखा।।

 

गिरगिट की तुम बात करो क्या।
ईंसा रंग बदलते देखा।।

 

प्यार दिखावे वाला करते।
वैर दिलों में पलते देखा।।

 

जी-हुजुरी करने ख़ातिर।
सर लोगों के झुकते देखा।।

 

अवसर बीत गया तो अपने।
हाथ सभी को मलते देखा।।

 

आज नहीं तो कल मरना है।
सूखे पत्ते झरते देखा।।

☘️

 

कवि व शायर: Ⓜ मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)

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Ghazal | भरोसा क्या बहारों का

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