बुजुर्ग | Atukant kavita
बुजुर्ग
( Buzurg )
अतुकांत कविता
अधेड़ सी उम्र सफेद बालों वाले बुजुर्ग
जीवन का अनुभव लिए हुए दुनिया का
जाने क्या-क्या उतार-चढ़ाव देखे होंगे
कितने आंधी और तूफान आए होंगे
कितने सावन बरसे पुष्प खिले होंगे
मन के किसी कोने में खुशियों की बहारों के
कितनी मेहनत संघर्ष किया होगा जीवन में
उम्र के इस पड़ाव में बुजुर्ग कहलाए
बड़े बुड्ढे जो हमारे देश के वरिष्ठ नागरिक
जिनका मान सम्मान हमारा सौरव है
जिन की सेवा करना हमारा परम कर्तव्य है
आओ शपथ ले हम बड़ों के सम्मान की
घर की धरोहर को संभाल कर रखने की
उनका हालचाल जानने की कोशिश करें
बुजुर्गों को सुख देने की जिनकी छांव में
हम पले हुए संभाले हम भी उस वटवृक्ष को
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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