बैठे है सब किसान दिल्ली में
बैठे है सब किसान दिल्ली में बैठे है सब किसान दिल्ली में! चल रहे है बयान दिल्ली में अपने हक़ के लिये किसानों ने हाँ लगा दी है जान दिल्ली में कोई भी जब बातें नहीं मानी क्या किसानों का मान दिल्ली में सच की आवाज़ से किसानों ने…
बैठे है सब किसान दिल्ली में बैठे है सब किसान दिल्ली में! चल रहे है बयान दिल्ली में अपने हक़ के लिये किसानों ने हाँ लगा दी है जान दिल्ली में कोई भी जब बातें नहीं मानी क्या किसानों का मान दिल्ली में सच की आवाज़ से किसानों ने…
ग़म भरी अपनी यहां तो जिंदगी है ग़म भरी अपनी यहां तो जिंदगी है! लिक्खी क़िस्मत में नहीं शायद ख़ुशी है कोई भी अपना नहीं है आशना ही तन्हाई के रोज़ आंखों में नमी है हो गया मुझसे पराया उम्रभर वो रोज़ रातें यादों में जिसकी कटी है हाँ ख़ुशी…
नज़र का तीर जब उनका जिग़र के पार होता है नज़र का तीर जब उनका जिग़र के पार होता है। नहीं तब होश रहता है सभी सुख-चैन खोता है।। सहे तकलीफ जो पहले है पाते चैन आख़िर में। जो पहले ऐश करता है सदा आख़िर में रोता है।। वही मिलता उसे…
हाँ व़क्त कटता तेरे इंतजार में हाँ व़क्त कटता तेरे इंतजार में! तू लौट आ दिल मेरा बेक़रार में इस बार आऊंगा मैं मिलनें को तुझे छुटटी है दोस्त मेरी इतवार में वो तल्ख़ बात करता रोज़ है़ मगर लहज़ा नहीं उल्फ़त का मेरे यार में ख़ुशबू कैसे महकेगी प्यार…
स्वतंत्रता नभ धरातल रसातल में ढूंढ़ता। कहां हो मेरी प्रिये स्वतंत्रता।। सृष्टि से पहले भी सृष्टि रही होगी, तभी तो ये बात सारी कहीं होगी, क्रम के आगे नया क्रम फिर आता है, दास्तां की डोर बांध जाता है।। सालती अन्तस अनिर्वचनीयता।। …
जाने कहां चले गए ? ****** महंगाई महंगाई का शोर करने वाले, सड़क और संसद पर धरना देने वाले! नहीं दिख रहे आजकल? जो बात बात पर करते थे बंद का आह्वान, प्याज की माला गले में डाल- चलते थे सीना तान। जाने कहां चले गए? सो रहे होंगे शायद? या फिर खो गए होंगे…
शहर में कोई अपना रहबर नहीं दें सहारा मुझे वो मिला घर नहीं शहर में कोई अपना रहबर नहीं कर लिया प्यार का फ़ूल उसनें क़बूल आज उन हाथों में देखो पत्थर नहीं क़त्ल कर देता मैं उस दग़ाबाज का हाथ में मेरे ही वरना ख़ंजर नहीं हर तरफ़ नफ़रतों…
यही सच्चाई है जिंदगी की ———-&&—— कभी दुखों का सैलाब तो कभी खुशियों की बारिश है जिंदगी कभी मां-बाप की डांट फटकार, तो कभी लाड ,प्यार का एहसास है जिंदगी कभी भाई बहन का झगड़ना तो कभी प्यार ,हंसी-खुशी है ज़िंदगी, कभी समाज की आलोचनाएं तो कभी मिली प्रोत्साहन है जिंदगी, कभी लोगों से…
ये है कैसी मजबूरी है ये है कैसी मजबूरी है! मिलना पर उससे दूरी है बात अधूरी है उल्फ़त की न मिली उसकी मंजूरी है जाम पिया उल्फ़त का उसके हाथों में अब अंगूरी है टूटी डोर मुहब्बत की ही न मिली उसकी मंजूरी है भौरा क्या बैठे फूलों…
सच्चाई की ताकत ***** मैं सच कहता रहूंगा ज़ालिम! चाहे उतार लो- मेरी चमड़ी खिंचवा लो मेरे नख होउंगा नहीं टस से मस? मजबूत हैं मेरे इरादे चाहे जितना जोर लगा लें पीछे नहीं हटूंगा सच कहता हूं कहता ही रहूंगा। जुल्म के आगे तेरे नहीं मैं झुकूंगा मरते दम तक सच ही कहूंगा। मरने…