सच्चाई की ताकत
सच्चाई की ताकत

सच्चाई की ताकत

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मैं सच कहता रहूंगा
ज़ालिम!
चाहे उतार लो-
मेरी चमड़ी
खिंचवा लो मेरे नख
होउंगा नहीं टस से मस?
मजबूत हैं मेरे इरादे
चाहे जितना जोर लगा लें
पीछे नहीं हटूंगा
सच कहता हूं
कहता ही रहूंगा।
जुल्म के आगे तेरे
नहीं मैं झुकूंगा
मरते दम तक सच ही कहूंगा।
मरने के बाद
मृत शरीर देगी गवाही
शरीर से निकला लहू बनेगी स्याही।
बात जितनी कहनी थी
बता दी।
इतना काफी है
ज़ालिम ?
बनाने को तेरी समाधी!

 

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नवाब मंजूर

लेखक-मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर

सलेमपुर, छपरा, बिहार ।

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