बाप को उसने | Baap ko Usne
बाप को उसने
( Baap ko Usne )
बाप को उसने ख़ुदाई दी है
हाथ बच्चे ने कमाई दी है
तेरा अंदाज़ निराला यह भी
दर्द देकर भी दवाई दी है
उम्र भर जिससे वफ़ाएं कीं थीं
मुझको उसने भी बुराई दी है
खिल गयीं कलियां दिले- मुज़्तर की
तेरी आहट जो सुनाई दी है
पूछता कोई तो मैं कह देता
बेसबब ही ये सफ़ाई दी है
ऐ अज़ल चाहे जहाँ ले चल अब
ज़ीस्त ने हमको रिहाई दी है
ये जुनूँ की ही अता है मीना
मेरी वहशत ने फनाई दी है
कवियत्री: मीना भट्ट सिद्धार्थ
( जबलपुर )
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