Soch Badalna Hoga
Soch Badalna Hoga

सोच बदलना होगा

( Soch Badalna Hoga )

 

गर समन्दर में रहना है
तो तैरना सीखना होगा…
मौजों से खेलना है अगर
तो उनसा बनना होगा…..
पुरानी सोच और सतही तरीके
को बदलना होगा….
अब नये तरीकों पर हाथ
आज़माना होगा…..
काग़ज़ वही रहेगा क़लम भी वही होगा,
लफ़्ज़ों का चुनाव मगर बदलना होगा,
हर दौर में प्रतियोगिताएं होती रही हैं,
यह दौर भी वही है…..
दुनिया के कदम से कदम मिलाना है तो,
अपनी सोच के रफ्तार को बढ़ाना होगा,
मक़सद पाने की चाहत
अगर है दिल में……
फिर‌ पांव के छालों पे नहीं
नज़र मंजिल पे रखना होगा,
मुश्किलें तो हर रहगुज़र के साथ होंगी,
उनसे लड़कर ही आगे बढ़ना होगा!

Aash Hamd

आश हम्द

( पटना )

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