हिन्दी वर्णमाला | Baccho ke liye kavita
हिन्दी वर्णमाला
( Hindi varnamala )
क से कबूतर, ख से खरगोश,
देना कभी न किसी को दोष।
च से चम्मच, छः से है छतरी,
वर्षा धूप से बचाए है छतरी।
ग से गमला, घ से होता है घर,
मिले सबको अपना पक्का घर।
ज से जहाज़ झ से झंडा,
भारत का है तिरंगा झंडा।
ट से टमाटर,ठ से ठठेरा,
सारे बर्तन बनाए ठठेरा।
ड से डलिया, ढ से ढक्कन,
डलिया पे रखो तुम ढक्कन।
त से तरबूज,थ से होता थन,
गौ माता के होते है चार थन।
द से दवात,ध से होता धनुष,
श्री राम जी ने तोडा था धनुष।
न से है नल, नल से है पानी,
नल देता है सभी को पानी।
फ से फल,ब से है बत्तख,
पानी में तैरती है बत्तख।
य से यज्ञ, र से होता रथ,
आ गया हिंदी का ये रथ।
ल से लालटेन,व से होता वजन,
कभी बढ़ाओ, न अपना वजन।
ष से षटकोंन, श से है शलजम,
आज बनानी है मूली शलजम।
स से सवार है, ह से है हथौड़ा,
घोड़े की दुम पर मारा हथौड़ा।
क्ष से है क्षत्रिय,त्रि से त्रिशूल,
शिव शंकर रखते है त्रिशूल।
ज्ञ से ज्ञानी,श्र से होता श्रम,
करते रहो जीवन में श्रम।
पूरी हुई हिन्दी की वर्णमाला,
पहनो अब हिंदी का दुशाला।
रचनाकार : आर के रस्तोगी
गुरुग्राम ( हरियाणा )