Bachpan par kavita
Bachpan par kavita

वो बचपन की यादें

( Wo bachpan ki yaddein )

 

 

याद है मुझे आज भी बचपन की वो अठखेलियाँ
बारिश के पानी नाचते कूदते भीगना संग साथियाँ

 

सबका साथ साथ रहना खाना पीना सोना बैठना
दादा दादी नाना नानी से सुनते हुए हम कहानियाँ

 

भाई बहनों और दोस्तों के साथ मौज मस्ती करना
कभी खेतों में कभी तालाब कभी जाते अमरईयाँ

 

पेड़ों पर चढ़ करके दीवारें फांदना तोड़ने को आमियां
कभी तितली के पीछे कभी पकड़ते पतंग की डोरियां

 

पढ़ना लिखना खेलना कूदना कांटे या चुभे कंचियाँ
सायकिल के टायरों को चलाते रेस लगाते साथियाँ

 

चिल्लमचों से भरी हुई जिंदगी भी सुकून देती रुशवाईयां
नीले  आसमां  के तले निहारते उड़ते पतंग संग पुरवइयां

 

गांव में शादी हो व्याह हो या कोई अन्य कोई भी अठखेलियाँ
सब  साथी  मिलकर झूमते नाचते गाते नाचे संग गवईयाँ

 

खूब लड़ते झगड़ते हम फिर मिल जाते बिन रागियाँ
गुल्ली डंडा भौंरा रामरस या खेलना कांच की गोलियां

 

पूरा परिवार ही नहीं पूरा का पूरा गांव साथ होता था
किसी के घर की बेटी या बहु गांव की होती थी बेटियाँ

 

खुलकर जीते थे सभी अपना अपना जीवन खुशी से
मुझे आज भी याद है उन बीते लम्हो की कहानियाँ

 

वो बचपन की यादें काश लौट आ जाते वो रुबाईयाँ
काश लौट दे मुझे मेरी जाने कहाँ गए वो अठखेलियाँ

 

?

मन की बातें

कवि : राजेन्द्र कुमार पाण्डेय ” राज “

प्राचार्य
सरस्वती शिशु मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय,
बागबाहरा, जिला-महासमुन्द ( छत्तीसगढ़ )
पिनकोड-496499

यह भी पढ़ें :-

जिंदगी को महकाना | Tyohar Par Kavita

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here