बदलने से | Badalne se
बदलने से
हमको परहेज़ है साहब कहाँ बदलने से।
कुछ न बदलेगा मगर बस यहाँ बदलने से।
बात कोई नहींं करता वहाँ बदलने की
हम बदल सकते हैं सचमुच जहाँ बदलने से।
न दिल, न जज़्बा, न लहजा, न नज़रिया, न नज़र
कुछ बदलता नहीं है चेहरा बदलने से।
सर झुकाने के तरीके के सिवा क्या बदला
दिल बदलता नहीं है देवता बदलने से।
वो उसे तोड़ता नहीं तो ख़ुदकुशी करता
दाग़ दिखने लगा था आइना बदलने से।
आपका लम्स था मरहम की तरह ज़ख़्मों पर
लम्स तेज़ाब हुआ फ़लसफ़ा बदलने से।
विनोद कश्यप,
चण्डीगढ़
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