मौसम ने बदला मिजाज़
( Mausam ne Badla Mizaaj )
मौसम ने बदला अपना मिज़ाज
हमने भी बदला अपना अन्दाज़।
ऋतु यह आई सर्दी ली अगडाई
हम सबके मन को ये बहुत भाई।।
निकाल लिऐ सब कम्बल, रजाई
मौसम भी बदला अब सर्दी आई।
गैस चूल्हा आज हमको ना भाऐ
लकड़ी जलाकर ये खाना बनाऐ।।
गर्म गर्म खाना रुत अच्छा लगता
घर में गोंद मैथी लड्डू जो बनता।
मौसम लगता यही खास सुहाना
ना लगे गर्मी ना रोज पड़े नहाना।।
ऋतुओं को बांटा गया छ: प्रकार
लेकिन सर्दी सताए वृद्ध नर नार।
सर्दी गर्मी वर्षा एवं शिशिर वसंत
इस सीजन का एक श्रृंगार हेमंत।।
रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )