Bade Bujurg

बड़े बुजुर्गों का सम्मान जरूरी है | Bade Bujurg

बड़े बुजुर्गों का सम्मान जरूरी है

( Bade bujurg ka samman jaroori hai ) 

 

बड़े बुजुर्गों  का  सम्मान  जरूरी  है ,

दिल में पलते भी अरमान जरूरी  है।

 

यार अंधेरों का साया है जिस घर में,

उस  घर में भी रोशनदान जरूरी है।

 

बाप की पगड़ी बच्चों ने निलाम किया,

एक पिता का भी ईमान जरूरी  है।

 

अपने घर की सुंदरता से लगता है,

नदी किनारे भी रेगिस्तान जरूरी है।

 

 हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सब के दिल में

 अपना  प्यारा  हिंदुस्तान   जरुरी   है।

 

कवि – धीरेंद्र सिंह नागा

(ग्राम -जवई,  पोस्ट-तिल्हापुर, जिला- कौशांबी )

उत्तर प्रदेश : Pin-212218

यह भी पढ़ें :

नेता बना तो दंगा कराने निकल पड़ा | Neta bana to

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *