Badhte Rahiye
Badhte Rahiye

बढ़ते रहिए

( Badhte Rahiye ) 

 

आप देते हैं महत्व जब भी कभी किसी को
वो पहले परखता है आपकी जरूरत को

इंसानियत भी है अनमोल,इंसान के लिए
हर किसी को मुफ्त मे,लुटाया नही करते

दीजिए इज्जत भी तो ,जरूरी हो जितनी
हर किसी का हाजमा ,सही नही होता

भीड़ का माहौल है,अपने को तलाशोगे कहां
तनहा ही निकल लो,यदि चाहते हो पहुंचना

पहचानते हैं आपको,सिर्फ रिश्ते के नाम पर
और आप समझते हैं की,वो मेरा ही खून है

आप बदल तो सकते नही,धारा के प्रवाह को
आवाज लगाते रहिए ,और आगे बढ़ते रहिए

 

मोहन तिवारी

( मुंबई )

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