बहुत खूबसूरत हैं ये यादें
बहुत खूबसूरत हैं ये यादें
इंतजार उनका करने की कुछ ऐसी आदत पड़ी है।
जानते हैं कि नहीं आएंगे वो, फिर भी द्वार पर नज़र गड़ी है।
रह रह कर राह तकते हैं, आए नहीं वो यादों से निकलकर।
लग रहा है थक गई है घड़ी भी चल चलकर।
उम्र गुजर गई पर खुद को समझा ना सके।
उम्र तो नहीं थे तुम कि लौट के आ ना सके।
अतीत की यादों से उन्हें कैसे कोई बुलाएगा।
यादों में उनकी यादों को ही साथ पाएगा।
यादों से ही सीख रहे हैं साथ निभाने की अदा।
साथ नहीं रहे जो उनको भी साथ रखतीं हैं सदा।
बीत गया सो बीत गया वापिस फिर ना आएगा।
वक्त ही है जनाब अपना हुनर तो दिखाएगा।
बहुत खूबसूरत हैं ये यादें, पर सिर्फ यादों में कब तक रहा करें।
कभी तो यादों से बाहर निकलकर हमसे भी मिला करें।
फिर एक बार दिल दुखाने को, रुलाने को चले आओ।
इंतज़ार कब तक करते रहें ये बताने को ही चले आओ
शिखा खुराना