Ghazal | बर्बादियों का ग़म न शिकवा बेवफाई का
बर्बादियों का ग़म न शिकवा बेवफाई का
(Barbadiyon Ka Gham Na Shikwa Bewafai Ka)
बर्बादियों का ग़म न शिकवा बेवफाई का।
हमको मिला है ये सिला तो आशनाई का।।
था फ़लसफ़ा कुछ भी नहीं गुमराह हम हुए।
अफसोस होता है तेरी उस रहनुमाई का।।
बदनाम हम को कर गए दिल को लगा के वो।
मौका भी कब उसने दिया था तब सफाई का।।
तन्हाई में गुजरे ये बेशक जिंदगी यूं ही।
अब रास्ता तकते नहीं है लौट आई का।।
ऐसा हुआ मजबूत दिल ये झेल सारे ग़म।
हरग़िज नहीं अफसोस कोई शय गँवाई का।।
कवि व शायर: मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)
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