जंगल | Jungle par kavita
जंगल
( Jungle )
कुदरत का उपहार वन
जन जीवन आधार वन
जंगल धरा का श्रृंगार
हरियाली बहार वन
बेजुबानों का ठौर ठिकाना
संपदा का खूब खजाना
प्रकृति मुस्कुराती मिलती
नदी पर्वत अंबर को जाना
फल फूल मेंवे मिल जाते
नाना औषधि हम पाते
वन लकड़ी चंदन देते हैं
जीव आश्रय पा जाते
प्राणवायु आकार अतुलित
कुदरती वन से को संतुलित
आपदा विपदा टल जाती
जंगल से हो सब प्रफुल्लित
घने बन हो प्यार घना हो
पेड़ों से सजी धरा हो
भालू बंदर हाथी घूमे
जानवरों से वन भरा हो
वन विपदा से हमें बचाते
काले काले मेघ लाते
मानसून की वर्षा लाकर
टिप टिप सावन बरसाते
जंगल जो जीवन दाता है
जिनसे जीवन का नाता है
कुदरत का सिरमोर वन है
जंगल से ही धरा चमन है
हरियाली से हरा भरा हो
फल फूलों से भरी थरा हो
परिवेश सुंदर सा लगता
नदी पर्वत संग वन हरा हो
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )