Baso is Hiye

बसो इस हिये

( Baso is hiye )

 

पास जब तुम रहे
क्षण वही तो प्रिये।
गीत मैंने लिखे
सब तुम्हारे लिये।

जानता हूॅ कि यह
स्वप्न संसार है।
कुछ अनिश्चित क्षणों
का सब व्यापार है।
एक नाटक सतत
चल रहा है यहाॅ;
सूत्रधारी का ही
सब चमत्कार है।

साथ जब तक रहे
तुम मेरे देवता,
हुआ अनुभव यही,
हूॅ अमिय घट पिये।

राह जो भी मिली
हम हैं चलते रहे।
कुछ बिछुड़ते रहे
और मिलते रहे।
कौन सी राह घर को
तुम्हारी गई;
इसे लेकर बहुत
लोग लड़ते रहे।

शक्ति-सामर्थ्य का,
कुछ अहंभाव ले,
खोजते हैं उजाले
बुझाकर दिये।

लोक परलोक की
बात होती रही।
चेतना पर स्वयं की
है सोती रही।
पल वही तो मिले
जो थे बोये गये;
कल्पना व्यर्थ में ही
है रोती रही।

दोष अपना सभी,
रोष किस पर करूॅ,
प्राप्त वैसा किया,
कर्म जैसे किये।

सत्य केवल तुम्हीं
शेष नि:सार है।
न जीवन का कोई
भी आधार है।
दूर कर दे तिमिर
तव कृपा की किरण;
अब तुम्हारे बिना
एक क्षण भार है।

दूर करके सभी
लालसायें अहम्,
कर कृपा अब निरंतर
बसो इस हिये।

sushil bajpai

सुशील चन्द्र बाजपेयी

लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

यह भी पढ़ें :-

बोले कोयलिया | Bole koyaliya

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here