
तेरे आने से
( Tere aane se )
मुंह टेढ़ा था
नाक सिकुड़ी थी
मन गिरा गिरा कर
सब उदास खड़े थे,
तेरे आने से।
पता नहीं क्यों
इतना नफरत तुमसे!
नाखुश हो जाते हैं
भार सा लद जाता है,
तेरे आने से।
समाज भी
सम्मान नहीं करता
मां बाप का
दुनिया की
बातें करता है
उपेक्षा करता है उनकी,
तेरे आने से।
यह कब तक?
चलेगा,
कौन कब तक?
सुनेगा,
ये कब सुधरेंगे
समझेंगे,
दूर करेंगे ये भ्रम
देंगे सम्मान
मनाएंगे खुशियां,
तेरे आने से।
ये जगती हैं
ये धरती हैं
ये देवी हैं
ये सृष्टि हैं,
धन्य हो जाता है
मां की कोख
तेरे आने से।
अब तुम्हें
आगे आना होगा
समाज से
लड़ना होगा
यह दिखाना होगा कि
सब कुछ
बदलेगा,
तेरे आने से।
तू कोई पाप नहीं
तू कोई अपराध नहीं
तू कोई विवाद नहीं
तू कोई विषाद नहीं
तू आज है
तू कल है
तू परिणाम है
तू फल है
सच में
धन्य हो जाती है
यह धरती,
तेरे आने से। तेरे आने से। तेरे आने से।
रचनाकार –रामबृक्ष बहादुरपुरी
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